नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
श्री Shiv chaisa शिव जी परम दयालु हैं। वह अपने भक्तों पर अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। श्री शिव जी अपने ऐसे ही सरलता के कारण जनमानस में सबके प्रिय देवता हैं। आज यहां पर हम श्री शिव जी के सबसे लोकप्रिय भजनों का लिरिक्स जानेंगे।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
अंगो पे विभूति रमाये देखो वो है अवघडदानी
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
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